Thursday, April 24, 2008

उठो लाल

उठो लाल अब आंखें खोलो
पानी लायी हूं मुह धो लो
बीती रात कमल-दल फूले
उनके ऊपर भौंरे झूले
चिडि़यां चहक उठीं पेड़ों पर
बहने लगी हवा अति सुन्‍दर
आसमान में छायी लाली
हवा बही सुख देने वाली
नन्‍हीं नन्‍हीं किरणें आयीं
फूल हंसे कलियां मुसकायीं
इतना सुन्‍दर समय ना खोओ
मेरे प्‍यारे अब मत सोओ।